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लेखनी प्रतियोगिता -22-Aug-2023 अनदेखा अनुभव



                  अनदेखा अनुभव


          "  तुम्हारा कोरियर  है  ? ", बाहर खड़े  अजनबी ने निवेदिता को एक लिफाफा देते हुए  कहा।

     निवेदिता उस लिफाफे को उलट पलट  कर  वह कोरियर कहाँ से आया है और किसने भेजा है यह देखने की कोशिश करने लगी। लेकिन  उस लिफाफे पर कहीं भी भेजने वाले का नाम  नहीं था।

        निवेदिता को चिन्ता हुई।  और चिन्ता होना स्वाभाविक  था। क्यौकि इस शहर में आये उसको लगभग दो महीने ही हुए  थे। उसका यहाँ का एड्रेस भी केवल उसके घरवालौ के पास था। फिर यह कोरियर  किसने और क्यौ भेजा है।

        निवेदिता उस कोरियर  के लिफाफे को खौलते हुए  भी डर रही थी। उसने वह लिफाफा एक कौने में रख दिया। निवेदिता के दिल में यही विचार बारम्बार  आरहे थे कि यह लिफाफा किसने भेजा है और इसके अंदर क्या है ?

        निवेदिता का दिल नहीं माना। और उसने उस लिफाफे को खोलकर देखने का निर्णय  लिया।

         अब निवेदिता ने कांपते हुए  हाथौ से उस लिफाफे को उठाया और उसको खोलने लगी। निवेदिता के हाथ यह सोचकर  कांप रहे थे कि इसके अंदर  क्या है इसलिए  वह लिफाफा खोल ही नहीं पारही थी।

      निवेदिता ने ऐसे तेसे  लिफाफा खोल ही लिया। उसके अंदर  दो बंद लिफाफे और रखे थे। जिसमें एक छोटा लिफाफा था और एक बड़ा  लिफाफा।

     निवेदिता ने सबसे पहले छोटा लिफाफा खोला। उस लिफाफे के अंदर एक कागज निकला।  उस पर लिखे हुए  शब्द को वह पढ़ने  लगी।

    उसमें लिखा था  " मै तुम्है क्या लिखकर  सम्बोधित करू माॅय डियर कहूँ या माॅय फ्रैन्ड कहूँ ? चलो माॅय डियर ही कह देता हूँ। बुरा मत मानना।

     माॅय डियर जब तुमने इस कालेज में  पहले दिन अपने कोमल कदम रखे थे मैने उसी दिन अपना नन्हा दिल तुम्हें दे दिया था। और उस दिन  से आजतक तुमसे बात करने की हिम्मत जुटा रहा था। परन्तु यह सोचकर कदम पीछे हटा लेता था कि न जाने तुम बुरा न मान जाओ।

          आखिर में तुम्हें खत लिखकर देना चाहा परंतु खत लिखकर  हाथ में देने की हिम्मत नहीं हुई।   फिर बहुत मुश्किल  से तुम्हारा पता हासिल किया और यह खत और एक छोटा सा तोहफा भेज रहा हूँ। यदि अच्छा लगे और यह निवेदन स्वीकार  हो तब एक हरे रंग का कपड़ा  कालेज में खड़े  इकलौते बरगद के पेड़  की डाली में बांध देना। यदि अस्वीकार  हो तो लाल कपड़ा  बांध देना।

                       तुम्हारा अजनबी प्यार
      निवेदिता ने कांपते हाथौ से दूसरा लिफाफा खोला तब उसके अंदर एक अति सुंदर पारदर्शी  पैकेट में  एक हीरे की रिंग  निवेदिता की सुन्दरता को चड्डा रही थी।

      निवेदिता ने जैसे ही वह पैक खोलकर  वह रिंग निकालने चाही तभी उसकी सहेली ने उसको झकझोरकर जगा दिया। और निवेदिता अपने अनदेखे प्यार अनुभव भी नहीं कर सकी। वह रिंग को अपनी उंगली में डालते डालते रहगई।

                उसको  अपने अजनबी प्यार कुछ भी पता नहीं था कि वह कौन है? उसके पहले प्यार अनुभव भी अनदेखा ही रह गया वह अपनी सहेली को क्या बताती कि वह कैसा अजीव  सपना देखरही थी।

आज की दैनिक  प्रतियोगिता हेतु रचना
नरेश शर्मा "  पचौरी"

नोट :- कहानी पढ़कर  अपनी अमूल्य राय  अवश्य दीजिए  और पसंद आने पर लाइक अवश्य  कीजिए।  धन्यवाद। 

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4 Comments

HARSHADA GOSAVI

27-Aug-2023 07:23 AM

nice

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RISHITA

27-Aug-2023 06:08 AM

awesome

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Abhinav ji

23-Aug-2023 07:26 AM

Very nice 👍

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